
हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर
परिचय
भारतीय संस्कृति में त्योहारों और व्रतों का विशेष महत्व है, जो न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाते हैं, बल्कि समाज और परिवार में स्त्रियों की भूमिका को भी प्रतिष्ठा प्रदान करते हैं। ऐसे ही दो विशेष व्रत हैं — हरियाली तीज और हरतालिका तीज, जिन्हें देशभर की महिलाएं अत्यंत श्रद्धा, उत्साह और सौभाग्य की कामना के साथ करती हैं।
हरियाली तीज 2025 – प्रेम और मिलन का पर्व
तारीख: 27 जुलाई 2025 (रविवार)
तिथि: श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया
हरियाली तीज मुख्यतः श्रावण मास में मनाई जाती है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक मानी जाती है। यह तीज स्त्रियों के लिए सौभाग्य, प्रेम, और ससुराल में सुख-शांति का प्रतीक होती है।
परंपराएं और रीति-रिवाज
- विवाहित महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
- अविवाहित लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।
- महिलाएं हरा वस्त्र, मेहंदी, चूड़ियां, और श्रृंगार करती हैं।
- झूला झूलने की परंपरा, लोकगीत, और समूह में नृत्य विशेष आकर्षण होते हैं।
धार्मिक मान्यता
माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए वर्षों तक कठोर तप किया। अंततः श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें स्वीकार किया।
हरतालिका तीज 2025 – तप और समर्पण का पर्व
तारीख: 26 अगस्त 2025 (मंगलवार)
तिथि: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया
हरतालिका तीज का व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत में अत्यधिक श्रद्धा से मनाया जाता है। यह व्रत स्त्रियों के अडिग संकल्प और नारी शक्ति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
हरतालिका का अर्थ और कथा
‘हर’ का अर्थ होता है हरण करना, और ‘तालिका’ का अर्थ है सखी। कथा के अनुसार, जब माता पार्वती के पिता हिमालय ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय किया, तो उनकी सखियों ने उन्हें शिव से विवाह हेतु उठाकर जंगल में ले जाकर छिपा दिया — यही हरतालिका है।
माता पार्वती ने निर्जल रहकर घोर तप किया और अंततः शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया।
व्रत की विशेषताएं
- यह व्रत निर्जला उपवास के रूप में रखा जाता है, जिसमें स्त्रियां जल भी ग्रहण नहीं करतीं।
- दिनभर व्रत रखकर रात को हरतालिका तीज व्रत कथा का श्रवण और पूजन किया जाता है।
- भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को मिट्टी से बनाकर पूजन किया जाता है।
- व्रत अगले दिन पारण के साथ समाप्त होता है।
हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर
तत्व | हरियाली तीज | हरतालिका तीज |
---|---|---|
तिथि | श्रावण शुक्ल तृतीया | भाद्रपद शुक्ल तृतीया |
उद्देश्य | विवाहित जीवन की सुख-शांति | आदर्श वर प्राप्ति और समर्पण |
उपवास की प्रकृति | कई बार फलाहार सहित | कठोर निर्जल व्रत |
विशेषता | झूला, गीत, श्रृंगार | मिट्टी की मूर्ति, कथा, ध्यान |
क्षेत्रीय प्रचलन | उत्तर भारत, राजस्थान, हरियाणा | उत्तर भारत, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश |
सांस्कृतिक महत्व
हरियाली तीज और हरतालिका तीज सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, ये स्त्रियों की सामाजिक पहचान और सशक्तिकरण का प्रतीक हैं। इन व्रतों में स्त्रियों को न केवल पूजा-पाठ का अवसर मिलता है, बल्कि सामाजिक मेलजोल, सौंदर्य प्रदर्शन, और लोक परंपराओं के निर्वहन का भी अवसर प्राप्त होता है।
आज के संदर्भ में प्रासंगिकता
आज के आधुनिक युग में भी ये व्रत उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं जितने प्राचीन काल में थे। स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति, और धैर्य का प्रतीक बन चुके ये व्रत महिलाओं में आत्मबल और पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखने की प्रेरणा देते हैं।
Read This: Hariyali Teej 2025: Celebrating Love, Devotion, and Greenery
निष्कर्ष
हरियाली तीज और हरतालिका तीज दो महत्वपूर्ण तीजें हैं जो श्रद्धा, प्रेम, और त्याग की सच्ची मिसाल हैं। इन व्रतों के माध्यम से भारतीय महिलाएं न केवल अपने परिवार के लिए शुभकामना करती हैं, बल्कि आत्मबल और सांस्कृतिक गरिमा का भी प्रदर्शन करती हैं।
इस वर्ष (2025):
- हरियाली तीज – 27 जुलाई, रविवार
- हरतालिका तीज – 26 अगस्त, मंगलवार
इन दोनों तीजों का पावन पर्व आने वाले समय में भी स्त्रीशक्ति और भारतीय संस्कृति का गौरव बढ़ाता रहेगा।