
Apara Ekadashi 2025 in Hindi: महत्व, पूजा विधि व शुभ मुहूर्त
अपरा एकादशी 2025: महत्व, व्रत विधि, तिथि और पारण का समय
अपरा एकादशी 2025 की तिथि व मुहूर्त
- व्रत तिथि: शुक्रवार, 23 मई 2025
- एकादशी प्रारंभ: 22 मई 2025 को रात 22:14 बजे
- एकादशी समाप्त: 23 मई 2025 को रात 21:02 बजे
- पारण (व्रत खोलने का समय): 24 मई 2025, सुबह 05:17 से 08:01 तक
- द्वादशी समाप्ति: 24 मई 2025 को 19:20 बजे
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अपरा एकादशी का धार्मिक महत्व
अपरा एकादशी, जिसे अचला एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह एकादशी विशेष रूप से पापों के क्षय, पुण्य की प्राप्ति, और मोक्ष की कामना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
‘अपरा’ का अर्थ होता है – अपार फल देने वाली। मान्यता है कि इस दिन व्रत और श्रीहरि विष्णु जी की पूजा करने से मनुष्य के पूर्व जन्मों के दोष, पाप, और नकारात्मक कर्मों का नाश होता है और वह मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होता है।
पौराणिक कथा (कथा का सार)
पुराणों के अनुसार, अचला (अपरा) एकादशी व्रत की महिमा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताई थी। उन्होंने कहा कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को राजसूय यज्ञ, अश्वमेध यज्ञ, गंगा स्नान, कुंभ स्नान, कन्या दान, और तपस्या जैसे महापुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
कथा के अनुसार, एक बार एक ब्राह्मण ने अनजाने में भीषण पाप कर दिए थे। लेकिन अपरा एकादशी का व्रत करने से उसके समस्त पाप समाप्त हो गए और उसे विष्णुलोक की प्राप्ति हुई।
अपरा एकादशी व्रत व पूजा विधि (Apara Ekadashi Vrat Vidhi)
1. व्रत की पूर्व रात्रि को संयमित आहार:
- व्रती को एक दिन पूर्व (दशमी तिथि) को सात्विक और हल्का भोजन करना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य और मानसिक शुद्धता आवश्यक है।
2. प्रातः काल स्नान और संकल्प:
- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें, विशेषतः गंगा जल या तीर्थ जल से।
- भगवान श्रीहरि विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
3. विष्णु जी की पूजा:
- पीले वस्त्रों में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।
- तुलसी पत्र, पीले पुष्प, चंदन, धूप, और दीपक से पूजा करें।
- श्री विष्णु सहस्रनाम, विष्णु अष्टोत्तर शतनाम का पाठ करें।
4. उपवास (निराहार या फलाहार):
- इस दिन व्रती पूर्ण उपवास रखते हैं या फलाहार ग्रहण करते हैं।
- जल भी सीमित मात्रा में लिया जाता है, कई भक्त निर्जल व्रत भी करते हैं।
5. रात्रि जागरण:
- रात्रि को भगवान विष्णु के भजन, कीर्तन, और मंत्रजप करते हुए जागरण करें।
पारण विधि (24 मई 2025 को)
- व्रत का पारण द्वादशी तिथि में ही करना चाहिए।
- 2025 में पारण का श्रेष्ठ समय: सुबह 05:17 बजे से 08:01 बजे तक
- भगवान विष्णु की पूजा के पश्चात जल, फल, और ताम्रपात्र में अन्न दान करें।
- ब्राह्मण भोजन या गौ सेवा का विशेष महत्व है।
अपरा एकादशी का लाभ (Benefits of Apara Ekadashi Vrat)
लाभ | विवरण |
---|---|
पापों का क्षय | जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति |
पितरों की शांति | पितृ दोष से मुक्ति मिलती है |
धन और यश की प्राप्ति | व्यापार, कार्य, और सम्मान में वृद्धि |
मोक्ष की प्राप्ति | विष्णुलोक की प्राप्ति का योग |
गंभीर रोगों से छुटकारा | मानसिक व शारीरिक रोगों में लाभकारी |
अन्य नाम व क्षेत्रीय मान्यता
- उत्तर भारत में इसे अपरा एकादशी कहा जाता है।
- दक्षिण भारत में इसे अचला एकादशी कहा जाता है।
- इसे जल एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि जल दान और गंगा स्नान का महत्व होता है।
विशेष सुझाव
- व्रत करते समय मोबाइल, टीवी और सोशल मीडिया से दूरी रखें।
- तुलसी के पत्ते का सेवन व चढ़ाना आवश्यक है।
- जिनसे पूर्ण उपवास संभव नहीं, वे फलाहार करें लेकिन संयम रखें।
- गरीबों को अन्न, वस्त्र और जल दान करें।
अपरा एकादशी व्रत का मंत्र
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
इस मंत्र का जप पूरे दिन करना चाहिए।