वट सावित्री व्रत कथा – कहानी, महत्व और पूजा विधि | ChatGPT AI Image
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वट सावित्री व्रत कथा – कहानी, महत्व और पूजा विधि

भूमिका

वट सावित्री व्रत हिन्दू विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला एक पवित्र उपवास है, जो मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और बंगाल जैसे राज्यों में बड़े श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है।

वट सावित्री व्रत का आधार पुराणों में वर्णित सावित्री और सत्यवान की कथा है, जिसमें सावित्री ने अपने पति को यमराज से पुनः जीवन दिलाया।

वट सावित्री व्रत का अर्थ

  • वट (बड़ का वृक्ष): लंबी उम्र, मजबूती और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है।
  • सावित्री: एक पवित्र, पतिव्रता स्त्री का प्रतीक जिनकी भक्ति और तपस्या ने मृत्यु को भी परास्त किया।

वट सावित्री व्रत 2025 में कब है?

  • तारीख: गुरुवार, 29 मई 2025
  • तिथि: ज्येष्ठ अमावस्या
  • पूजा मुहूर्त: सूर्योदय से दोपहर तक (विशेष रूप से सुबह)

सावित्री कौन थीं?

सावित्री, मद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री थीं। वह अत्यंत रूपवती, बुद्धिमती और धर्मनिष्ठ थीं। विवाह योग्य होने पर उन्होंने स्वयं अपने पति की खोज की और वन में रह रहे राजकुमार सत्यवान को चुना।

देवर्षि नारद ने चेताया कि सत्यवान एक वर्ष में मृत्यु को प्राप्त होंगे, फिर भी सावित्री ने कहा:

“एक बार पति का चयन हो जाने पर, स्त्री केवल उसी का वरण करती है – यही धर्म है।”

वट सावित्री व्रत कथा – संपूर्ण पौराणिक कथा

भविष्यवाणी और उपवास

सावित्री ने सत्यवान से विवाह किया और वन में रहकर सास-ससुर की सेवा करने लगीं। जब सत्यवान की मृत्यु की तिथि निकट आई, तो सावित्री ने तीन दिन का निर्जला उपवास आरंभ किया।

यमराज से भेंट

निर्धारित दिन वह सत्यवान के साथ वन गईं। लकड़ी काटते समय सत्यवान अचानक मूर्छित हो गए – मृत्यु का समय आ चुका था।

यमराज आए और सत्यवान की आत्मा को ले जाने लगे। सावित्री उनके पीछे-पीछे चल पड़ीं।

तीन वरदान

यमराज ने सावित्री की तपस्या से प्रसन्न होकर तीन वरदान दिए (सत्यवान का जीवन छोड़कर):

  1. अपने ससुर को पुनः राज्य और दृष्टि प्राप्त हो।
  2. अपने पिता को सौ पुत्र हों।
  3. स्वयं को सौ पुत्र हों।

यमराज ने जब तीसरा वरदान दिया, तब सावित्री ने कहा – “यदि मुझे सौ पुत्र चाहिए, तो पति सत्यवान का जीवित रहना आवश्यक है।” यमराज अपनी वाणी से बंधे थे और सत्यवान का जीवन लौटाया।

व्रत का धार्मिक महत्व

  • पत्नी के समर्पण और तपस्या का प्रतीक – एक नारी के अटल संकल्प की गाथा।
  • पति की दीर्घायु और कल्याण के लिए उपवास और पूजा।
  • वटवृक्ष की पूजा ब्रह्मा, विष्णु और महेश – त्रिदेव का प्रतीक मानी जाती है।

वट सावित्री व्रत की विधि

1. प्रातः स्नान और श्रृंगार

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। विवाहित महिलाएं लाल या पीली साड़ी, चूड़ियाँ, बिंदी, सिंदूर, मंगलसूत्र धारण करती हैं।

2. निर्जला उपवास

महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं – बिना जल के।

3. वटवृक्ष की पूजा

  • वटवृक्ष के चारों ओर लाल या पीले धागे से 7 या 21 बार परिक्रमा करती हैं।
  • वटवृक्ष को जल, कच्चे चने, फल, मिठाई और फूल चढ़ाए जाते हैं।
  • सावित्री-सत्यवान की मूर्तियों या चित्रों को पेड़ के नीचे रखकर पूजन और कथा श्रवण किया जाता है।

4. व्रत कथा का पाठ

सावित्री व्रत कथा का पाठ समूह में किया जाता है, फिर आरती की जाती है।

5. व्रत समाप्ति

शाम को व्रत तोड़ते समय, बुजुर्गों का आशीर्वाद लिया जाता है और प्रसाद का वितरण होता है।

पूजन सामग्री सूची

सामग्रीउपयोग
लाल धागावटवृक्ष की परिक्रमा हेतु
भिगोए हुए चनेभोग सामग्री
फल, मिठाईप्रसाद के रूप में
मिट्टी की मूर्तियाँसावित्री-सत्यवान की प्रतीकात्मक पूजा
सिंदूर, बिंदी, चूड़ियाँसुहाग की निशानी
कलश और जलशुद्धता और आचमन हेतु

क्षेत्रीय परंपराएं

  • दक्षिण भारत में इसे “सावित्री व्रतम” कहते हैं और यह पूर्णिमा को मनाया जाता है।
  • ओडिशा में यह पर्व बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं नई साड़ी पहनकर सामूहिक पूजन करती हैं।

प्रेरक उद्धरण

“जहां धर्म, प्रेम और संकल्प हो – वहां मृत्यु भी हार जाती है।”

“सावित्री के पतिव्रत धर्म ने सृष्टि को एक आदर्श स्त्री का उदाहरण दिया।”

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निष्कर्ष

वट सावित्री व्रत केवल एक धार्मिक उपवास नहीं, बल्कि यह नारी की शक्ति, श्रद्धा और संकल्प का प्रतीक है। सावित्री की कथा हमें सिखाती है कि सच्ची निष्ठा और संकल्प से मृत्यु तक को टाला जा सकता है

आज के आधुनिक युग में भी यह व्रत स्त्रियों को अपनी आस्था, प्रेम और शक्ति की अनुभूति कराता है। यह एक ऐसा पर्व है, जो नारी को उसकी पारंपरिक भूमिका के साथ-साथ आध्यात्मिक शक्ति से भी जोड़ता है।

Harshvardhan Mishra

Harshvardhan Mishra is a tech expert with a B.Tech in IT and a PG Diploma in IoT from CDAC. With 6+ years of Industrial experience, he runs HVM Smart Solutions, offering IT, IoT, and financial services. A passionate UPSC aspirant and researcher, he has deep knowledge of finance, economics, geopolitics, history, and Indian culture. With 11+ years of blogging experience, he creates insightful content on BharatArticles.com, blending tech, history, and culture to inform and empower readers.

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