
ज्येष्ठ अमावस्या 2025: कब है सही तिथि?
ज्येष्ठ अमावस्या 2025 को लेकर आमजन में यह भ्रम है कि यह तिथि 26 मई को है या 27 मई को। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12:12 बजे आरंभ होकर 27 मई को सुबह 8:32 बजे तक रहेगी। इस प्रकार, 26 मई को अमावस्या मान्य है, क्योंकि इस दिन सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि रहेगी।
चूंकि यह तिथि सोमवार को पड़ रही है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। साथ ही, इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी मनाए जाएंगे। 27 मई को अमावस्या तिथि भले ही प्रातः 8:32 बजे तक है, परंतु धार्मिक दृष्टिकोण से 26 मई को ही व्रत व अनुष्ठान अधिक फलदायी माने गए हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या का धार्मिक महत्व
🔸 पितृ तर्पण और पितृ दोष शांति
ज्येष्ठ अमावस्या का सबसे बड़ा महत्व पितरों की कृपा प्राप्ति से जुड़ा है। मान्यता है कि इस दिन पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं, अतः उनका तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। इससे पितृ दोष शांति होती है और कुल में सुख-समृद्धि आती है।
🔸 शनि जयंती
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही शनि देव का जन्म हुआ था। इस दिन शनि पूजा, काले तिल, सरसों का तेल, और नीले फूलों से उनका पूजन करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। शनि मंत्रों का जाप, विशेषकर –॥ ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ॥
का 108 बार जप करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
🔸 वट सावित्री व्रत
विवाहित महिलाएं इस दिन वट वृक्ष (बड़ के पेड़) की पूजा करती हैं। यह व्रत पति की दीर्घायु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। सावित्री के साहस और दृढ़ता का प्रतीक यह व्रत, स्त्रियों में श्रद्धा और शक्ति का संचार करता है।
शुभ योग: ग्रहों का विशेष संयोग
ज्येष्ठ अमावस्या 2025 के दिन आकाशीय पटल पर अद्भुत ग्रह योग बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी विशेष बनाते हैं।
🔹 चंद्रमा उच्च के और विशेष स्थिति में
- चंद्रमा वृषभ राशि में उच्च के रहेंगे।
- सूर्य और बुध भी वृषभ राशि में – जिससे बुधादित्य योग बनेगा।
- चंद्रमा और गुरु के द्वितीय स्थान से संबंध से सुनफा योग भी बनेगा।
🔹 शुक्र का उच्च राशि में गोचर
- शुक्र मीन राशि में उच्च के होंगे, जो सौंदर्य, प्रेम और रचनात्मकता को बल देंगे।
🔹 शनि का विशेष गोचर
- शनि ग्रह 30 वर्षों के बाद मीन राशि (गुरु की राशि) में गोचर कर रहे हैं, जो अद्वितीय संयोग है।
इन सभी ग्रह स्थितियों का सकारात्मक प्रभाव वैवाहिक जीवन, करियर, और स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।
क्या करें ज्येष्ठ अमावस्या पर?
कार्य | लाभ |
---|---|
पवित्र नदियों में स्नान | पापों का क्षय |
पितृ तर्पण और श्राद्ध | पितृ शांति व आशीर्वाद |
शनि पूजन व तेल अभिषेक | शनि दोष शांति |
वट वृक्ष की पूजा | वैवाहिक सुख |
दान (काले तिल, अन्न, वस्त्र) | पुण्य फल की प्राप्ति |
📿 ज्येष्ठ अमावस्या पर मंत्र
- शनि मंत्र:
॥ ॐ शं शनैश्चराय नमः ॥
- पितृ मंत्र:
॥ ॐ पितृदेवाय नमः ॥
- सावित्री स्तुति:
॥ सावित्री वरदायिनी नमः ॥
निष्कर्ष: अमावस्या तिथि में समाहित कई पर्व
ज्येष्ठ अमावस्या 2025, केवल अमावस्या नहीं बल्कि शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या का दुर्लभ संगम है। ग्रहों की शुभ युति और तिथि का धार्मिक महत्व इसे धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत विशेष बनाता है।
26 मई 2025 को तर्पण, दान, व्रत और साधना करके व्यक्ति न केवल पितरों की कृपा, बल्कि शनि की अनुकंपा और वैवाहिक सुख भी प्राप्त कर सकता है।