अहिल्याबाई होलकर जयंती 2025
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अहिल्याबाई होलकर जयंती 2025: एक प्रेरणादायक जीवन की 300वीं वर्षगांठ

हर वर्ष 31 मई को भारत में अहिल्याबाई होलकर जयंती मनाई जाती है, जो इस वर्ष 2025 में उनकी 300वीं जयंती के रूप में विशेष रूप से मनाई जा रही है। इस अवसर पर देशभर में विविध कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है, जो उनके अद्वितीय योगदान और प्रेरणादायक जीवन को सम्मानित करते हैं|

अहिल्याबाई होलकर कौन थीं?

अहिल्याबाई होलकर मराठा साम्राज्य की एक प्रतिष्ठित महारानी थीं, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में मालवा क्षेत्र पर शासन किया। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था। उनके पिता, माणकोजी शिंदे, गांव के पाटिल थे और उन्होंने अहिल्याबाई को धार्मिक और नैतिक शिक्षा दी। अहिल्याबाई का विवाह मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव होलकर से हुआ था, जिससे वे होलकर वंश की बहू बनीं।

जीवन की चुनौतियाँ और संघर्ष

अहिल्याबाई का जीवन अनेक व्यक्तिगत दुखों और सामाजिक चुनौतियों से भरा था। 29 वर्ष की आयु में उनके पति खंडेराव की मृत्यु हो गई, और कुछ वर्षों बाद उनके पुत्र मालेराव का भी निधन हो गया। इन दुखद घटनाओं के बावजूद, उन्होंने अपने कर्तव्यों से विमुख नहीं हुईं और राज्य की बागडोर संभाली। उन्होंने विधवा महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई।

प्रशासनिक कौशल और न्यायप्रियता

अहिल्याबाई ने लगभग 30 वर्षों तक मालवा क्षेत्र पर शासन किया और अपने प्रशासनिक कौशल से राज्य को समृद्ध बनाया। उन्होंने पारदर्शी राजस्व व्यवस्था स्थापित की और बिना कर बढ़ाए राज्य की आय को 75 लाख से सवा करोड़ तक पहुंचाया। उनके शासन में न्याय प्रणाली मजबूत हुई और उन्होंने धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। उन्होंने काशी की मस्जिदों को टूटने से रोका और विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच सौहार्द बनाए रखा।

धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान

अहिल्याबाई होलकर ने देशभर में धार्मिक स्थलों का निर्माण और पुनर्निर्माण कराया। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, रामेश्वरम, बद्रीनाथ, द्वारका, उज्जैन और अन्य तीर्थस्थलों का पुनरोद्धार किया। इसके अलावा, उन्होंने कुएं, बावड़ियां, घाट और धर्मशालाओं का निर्माण कराया, जिससे यात्रियों और तीर्थयात्रियों को सुविधा मिली।

300वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजन

अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर महाराष्ट्र सरकार ने चौंडी गांव में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इसके अलावा, देशभर में विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों में संगोष्ठियों, प्रदर्शनों और व्याख्यानों का आयोजन किया जा रहा है। इन आयोजनों का उद्देश्य उनकी विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाना और उनके आदर्शों को समाज में पुनः स्थापित करना है।

निष्कर्ष

अहिल्याबाई होलकर का जीवन साहस, सेवा और समर्पण का प्रतीक है। उनकी 300वीं जयंती हमें उनके आदर्शों को अपनाने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा देती है। उनकी शासन प्रणाली, धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक सुधार आज भी हमारे लिए मार्गदर्शक हैं।

Anshul Pal

Anshul Pal is a tech blogger with a passion for exploring the aspects of political science and geopolitics. He holds a Bachelor in Computer Applications and is currently pursuing a Master of Computer Applications from Sagar University. A dedicated UPSC aspirant and researcher, Anshul possesses a strong understanding of finance, economics, geopolitics, history, and Indian culture. With over 3+ years of experience in the blogging world, he shares his insights and knowledge on BharatArticles.com, creating informative and empowering content for his readers,

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