
कल है ऋषि पंचमी 2025, जानें व्रत की विधि, उपाय और शुभ मुहूर्त
Rishi Panchami 2025 Date and Time
हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह व्रत सप्त ऋषियों – कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, वशिष्ठ, गौतम, जमदग्नि और विश्वामित्र – को समर्पित है।
मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और जीवन के पापों का शमन होता है।
इस वर्ष ऋषि पंचमी 2025 का पर्व गुरुवार, 28 अगस्त को मनाया जाएगा।
पंचांग के अनुसार मुहूर्त
- पंचमी तिथि प्रारंभ: 27 अगस्त 2025, शाम 03:44 बजे
- पंचमी तिथि समाप्त: 28 अगस्त 2025, शाम 05:56 बजे
- व्रत तिथि (उदया तिथि अनुसार): 28 अगस्त 2025
ऋषि पंचमी पूजा-विधि
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल पर सप्त ऋषियों की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- दीपक जलाकर, चंदन, पुष्प, धूप, फल और पंचामृत अर्पित करें।
- सप्त ऋषियों के नामों का उच्चारण करते हुए मंत्र जाप करें।
- व्रत कथा का श्रवण करें और आरती करें।
- कुछ लोग इस दिन निर्जला या फलाहार व्रत का पालन भी करते हैं।
- शाम को दान-पुण्य करके व्रत का समापन करें।
ऋषि पंचमी विशेष उपाय
- इस दिन सप्त ऋषियों की प्रतिमा या चित्र किसी योग्य ब्राह्मण को दान करने से पुण्य प्राप्त होता है।
- गौमाता की सेवा करना और उन्हें हरी घास अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
ऋषि पंचमी मंत्र
सप्त ऋषियों की स्तुति के लिए यह श्लोक प्रचलित है –
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रो य गौतमः।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः।।
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।
इस मंत्र का जाप करने से सप्त ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ऋषि पंचमी का महत्व
ऋषि पंचमी केवल व्रत और पूजा का पर्व ही नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा में गुरु-ऋण से मुक्ति और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भी प्रतीक है।
सप्त ऋषियों ने वेद, पुराण और शास्त्रों की रचना करके मानव समाज को धर्म और ज्ञान का मार्ग दिखाया।
इस दिन व्रत करने से:
- जीवन में शुद्धता आती है।
- पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
ऋषि पंचमी 2025 का पर्व सभी भक्तों के लिए आत्मशुद्धि और ऋषि परंपरा के प्रति आस्था का अवसर है। श्रद्धापूर्वक व्रत, पूजा और दान करने से न केवल पापों का निवारण होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-शांति का संचार भी होता है।